जिलों-संभाग के बाद अब 100 उपखंड खत्म हो सकते हैं:दो या तीन तहसील पर होगा एक SDM ऑफिस; अब तक आधे जिलों का फीडबैक जुटाया


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फाइल फोटो। - Dainik Bhaskar

कांग्रेसराज के आखिरी बजट में बनाए गए 17 में से 9 जिले और तीनों नए संभाग खत्म करने के बाद सरकार एक और बड़ा फैसला लेने जा रही है। सरकार की नजर अब मापदंडों पर खरे नहीं उतरने वाले उपखंड, तहसील एवं उप-तहसील कार्यालयों पर है।

दो या तीन तहसीलों के ऊपर एक उपखंड दफ्तर बनाए जाने की तैयारी है। ऐसे में प्रदेश में 100 से अधिक उपखंड कम किए जाएंगे। यह कुल उपखंडों का 32% है।

इसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया था। समिति ने आधे जिलों का फीडबैक भी जुटा लिया है

 

जानकारी के अनुसार सरकार मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस की नीति को आधार बनाकर इस तरह के बदलाव कर रही है।

 

हर जिले में जाएगी समिति, तीन प्रमुख कार्यों पर फोकस

समिति को छह माह में रिपोर्ट देनी है। इसके लिए समिति राजस्व इकाइयों के पुनर्गठन के लिए संबंधित संभाग एवं जिलों से सुझाव लेगी और अन्य अनुशंसा करेगी।

 

 

दूसरा, कमेटी नवीन राजस्व इकाइयों के संबंध में मार्गदर्शी सिद्धांत एवं प्रशासनिक इकाइयों की पद संरचना, उनका आकार और कार्याे के अनुपात में पदों की आवश्यकता को देखते हुए प्रशासनिक इकाइयों एवं राजस्व न्यायालयों की पदीय संरचना के संबंध में अनुशंसा करेगी।

तीसरा, प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों एवं जन अपेक्षाओं के आधार पर सुलभ प्रशासन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राजस्व इकाइयों के सृजन, पुनर्गठन के संबंध में जिलेवार अनुशंसा करना। कमेटी प्रशासनिक, तहसीलदार सहित विभिन्न कार्मिक संगठनों से भी मिलेगी।

‘पंचायतीराज संस्थान स्थित ऑफिस में सुनवाई

समिति का अस्थाई दफ्तर इंदिरागांधी पंचायतीराज संस्थान में है। अध्यक्ष पूर्व आईएएस ललित के. पंवार हैं। पंवार ने ही संभाग एवं जिलों को समाप्त करने की सिफारिश की थी।

समिति में राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव दिनेश कुमार व राजस्व मंडल के निबंधक सदस्य हैं। वहीं, रिटायर आरएएस राजनारायण शर्मा सदस्य सचिव हैं।

समिति का कहना है कि राजस्व इकाइयां का समानीकरण करना है ताकि, जरूरत के हिसाब से लोगों को इसका फायदा मिल सके।

 

क्या आप भी चाहती है संजीवनी से जुड़कर अपने स्वास्थ्य और सम्मान को बढ़ाना और एक अच्छी आय प्राप्त करना
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213 उपखंड ही रह जाएंगे

इसका उद्देश्य लोगों को अधिक राहत पहुंचाना है। इसके उपखंड एवं तहसील कार्यालय का एक ही मुख्यालय होने का औचित्य नहीं है। एक उपखंड के अधीन दो या तीन तहसील संभव है।

ऐसा हुआ तो 426 तहसीलों के हिसाब से एक उपखंड में कम से कम दो भी तहसील रखी जाएंगी तो खत्म होने वाले उपखंड का आंकड़ा बहुत बड़ा होगा। वर्तमान में 323 उपखंड हैं जो घटकर 213 तक हो सकते हैं।

हर पंचायत पर एक पटवार सर्कल होना चाहिए, जो अभी कम हैं

नियमानुसार हर पंचायत पर एक पटवार सर्कल होना चाहिए। अभी पंचायतों से पटवार सर्कल कम हैं। सरकार का मानना है कि अब डिजिटिलाइजेशन का जमाना है।

पटवारी तक लोगों की पहुंच कम हुई है। बहुत कुछ ऑनलाइन हो गया है। ऐसे में समिति यह भी सुझाव दे सकती है कि दो छोटी पंचायतों पर एक पटवार सर्कल क्यों नहीं किया जा सकता है?

इस तरह पटवार सर्कल घटेंगे तो इसका असर भूअभिलेख निरीक्षक दफ्तरों पर भी आएगा। प्रदेश में अभी 323 उपखंड, 426 तहसील और 232 उपतहसील हैं। उपखंड कम किए जाने का असर तहसील, उपतहसील, आरआई और पटवार सर्कल पर पड़ेगा।

 

करीब छह महीने पहले सरकार ने गहलोत राज में बनाए 9 जिलों और 3 संभागों को खत्म कर दिया था।

कैबिनेट में होगा अंतिम फैसला

सलाहकार समिति रिपोर्ट राजस्व विभाग को सौंपेगी और फिर कैबिनेट में अंतिम फैसला होगा कि किस उपखंड, तहसील, उप तहसील, आरआई सर्कल या पटवार सर्कल को कम किया जा सकता है।

करीब छह महीने पहले सरकार ने सीकर, बांसवाड़ा एवं पाली संभाग और सांचौर, अनूपगढ़, केकड़ी, गंगापुरसिटी, दूदू, शाहपुरा, नीमकाथाना, जोधपुर ग्रामीण एवं जयपुर ग्रामीण जिलों को भी समाप्त कर दिया था।

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