पेट्रोल ₹120 लीटर तक पहुंच सकता है:वजह- तेल सप्लाई का सबसे बड़ा रास्ता बंद कर सकता है ईरान; क्रूड ऑयल 80 डॉलर हुआ


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अभी ब्रेंट क्रूड 80 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है, लेकिन ये 120-150 डॉलर तक जा सकता है। इसका असर भारत पर भी होगा। - Dainik Bhaskar

ईरान की संसद ने हाल ही में अमेरिकी हवाई हमलों के जवाब में स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने का प्रस्ताव पास किया है। अगर स्ट्रेट ऑफ होर्मुज बंद होता है तो इसका असर भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम पर पड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये तेल व्यापार का अहम रास्ता है।

इस खबर के सामने आने के बाद क्रूड ऑयल के दाम बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गए हैं। भारत अपनी तेल जरूरतों का बड़ा हिस्सा इम्पोर्ट करता है। अगर क्रूड ऑयल के दाम लंबे समय तक बढ़े रहते हैं, तो तेल कंपनियों को पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने पड़ सकते हैं।

इस मसले को 6 सवाल-जवाब में समझते हैं…

सवाल 1: स्ट्रेट ऑफ होर्मुज क्या है और ये इतना अहम क्यों है?

जवाब: स्ट्रेट ऑफ होर्मुज एक तंग समुद्री रास्ता है, जो फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है। ये सिर्फ 33 किलोमीटर चौड़ा है, लेकिन दुनिया का 20-25% कच्चा तेल और 25% नेचुरल गैस इसी रास्ते से गुजरती है।

सऊदी अरब, इराक, कुवैत, कतर जैसे देशों से तेल के टैंकर इसी रास्ते से दुनियाभर में जाते हैं। भारत के लिए ये रास्ता इसलिए खास है, क्योंकि हमारा 40% से ज्यादा तेल इसी रास्ते आता है। अगर ये बंद हो जाए, तो तेल की सप्लाई में रुकावट आ सकती है।

सवाल 2: ईरान ने ये रास्ता बंद करने का फैसला क्यों लिया?

जवाब: ईरान और इजराइल के बीच तनाव पहले से चल रहा था, 22 जून को अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों- नतांज, फोर्डो और इस्फहान पर हवाई हमले किए। इससे नाराज ईरान की संसद ने स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने का प्रस्ताव पास किया।

हालांकि, इस फैसले को लागू करने के लिए ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की मंजूरी चाहिए। ईरान का कहना है कि अगर उसे और परेशान किया गया, तो वो इस रास्ते को बंद करके वैश्विक तेल सप्लाई को बाधित कर सकता है।

सवाल 3: क्या भारत में पेट्रोल-डीजल महंगे हो जाएंगे?

जवाब: अगर ये रास्ता बंद होता है, तो तेल की सप्लाई में दिक्कत आएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतें 30-50% तक बढ़ सकती हैं। अभी ब्रेंट क्रूड 80 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है, लेकिन ये 120-150 डॉलर तक जा सकता है। इसका असर भारत पर भी हो सकता है:

  • पेट्रोल-डीजल महंगा: तेल महंगा होने से पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं। माना जा रहा है कि पेट्रोल 120 रुपए प्रति लीटर या उससे ज्यादा हो सकता है।
  • महंगाई का बढ़ना: पेट्रोल-डीजल महंगा होने से ट्रांसपोर्ट का खर्च बढ़ेगा, जिससे खाने-पीने की चीजें, दवाइयां और दूसरी जरूरी चीजें भी महंगी हो जाएंगी।

सवाल 4: क्या भारत तेल के लिए पूरी तरह स्ट्रेट ऑफ होर्मुज पर निर्भर है?

जवाब: नहीं, भारत ने हाल के वर्षों में अपनी तेल सप्लाई को काफी हद तक डायवर्सिफाई किया है। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के मुताबिक, भारत में रोजाना 5.5 मिलियन बैरल तेल की खपत है, जिसमें से सिर्फ 1.5-2 मिलियन बैरल ही स्ट्रेट ऑफ होर्मुज से आता है। बाकी 4 मिलियन बैरल रूस, अमेरिका, पश्चिम अफ्रीका और ब्राजील जैसे देशों से आता है। भारत ने जून 2025 में रूस से 2.16 मिलियन बैरल तेल प्रतिदिन आयात किया।

ईरान से भारत ने 2019 के बाद तेल आयात लगभग बंद कर दिया है, क्योंकि अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगाए हैं। लेकिन इराक, सऊदी अरब, यूएई और कुवैत जैसे देशों से 40% तेल इस रास्ते से आता है। अगर स्ट्रेट बंद हुआ तो वैकल्पिक रास्तों जैसे केप ऑफ गुड होप से तेल लाना पड़ेगा, जो 7-13 दिन ज्यादा लेता है और प्रति यात्रा 1 मिलियन डॉलर (8.66 करोड़) अतिरिक्त खर्च होगा।

सवाल 5: भारत सरकार इस संकट से निपटने के लिए क्या कर रही है?

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जवाब: भारत सरकार इस मसले पर पूरी नजर रखे हुए है। हरदीप सिंह पुरी ने आश्वासन दिया है कि भारत के पास कई हफ्तों का तेल भंडार है और तेल कंपनियां कई रास्तों से सप्लाई ले रही हैं। उन्होंने कहा- “हम पिछले दो हफ्तों से मिडिल ईस्ट के हालात पर नजर रख रहे हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने तेल सप्लाई को डायवर्सिफाई किया है, और अब हमारा बड़ा हिस्सा स्ट्रेट ऑफ होर्मुज से नहीं आता। हमारी तेल कंपनियों के पास कई हफ्तों का स्टॉक है, और हम नागरिकों को ईंधन की स्थिर सप्लाई सुनिश्चित करेंगे।”

रणनीतिक भंडार: भारत के पास पुडुर (2.25 मिलियन मीट्रिक टन), विशाखापट्टनम (1.33 मिलियन मीट्रिक टन) और मेंगलुरु (1.5 मिलियन मीट्रिक टन) में रणनीतिक तेल भंडार हैं।

 

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सवाल 6: क्या स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करना इतना आसान है?

जवाब: नहीं, इसे पूरी तरह बंद करना आसान नहीं। स्ट्रेट में दो-दो मील की शिपिंग लेन हैं, और इसे बंद करने के लिए ईरान को बड़े पैमाने पर सैन्य कार्रवाई करनी होगी, जैसे टैंकरों पर हमला करना या समुद्र में माइंस बिछाना।

अमेरिका और सऊदी अरब जैसे देश इसे खुला रखने के लिए तुरंत जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान शायद इसे पूरी तरह बंद न करे, क्योंकि इससे उसके दोस्त देश जैसे चीन को भी नुकसान होगा। फिर भी, आंशिक रुकावट भी कीमतों को बढ़ा सकती है।

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