Kanwar Yatra 2025 Niyam (कांवड़ यात्रा के नियम): कांवड़ यात्रा आसान नहीं होती है। श्रावण मास में शुरू होने वाली ये यात्रा में कई तरह के नियमों का पालन करना होता है। इस साल भी कांवड़ की यात्रा की शुरुआत हुई है। अगर आप भी इस शुभ यात्रा में शामिल होना चाहते हैं तो यहां से आप कांवड़ से जुड़े सभी नियमों के बारे में जान सकते हैं।
कांवड़ रखने के नियम:
कावड़ यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण और कठोर नियम है। गंगाजल से भरी कावड़ को यात्रा के दौरान कभी भी सीधे जमीन पर नहीं रखा जाता है। यदि कावड़िए को विश्राम करना हो या रात में रुकना हो, तो कावड़ को किसी साफ ऊंचे स्थान पर रखें। कावड़ को पेड़ पर लटका सकते हैं या लकड़ी के स्टैंड पर रख सकते हैं। मान्यता है कि यदि कावड़ गलती से भी जमीन को छू जाए, तो उसे अशुद्ध माना जाता है और कावड़िए को फिर से पवित्र गंगाजल भरकर यात्रा शुरू करनी पड़ती है।
क्या खाते हैं कांवड़िए?
कांवड़िया शुद्ध और सात्विक जीवन जीता है। कावड़ यात्रा करने वाला व्यक्ति शुद्ध और सात्विक जीवन जीता है। यात्रा के दौरान मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज, अंडे और किसी भी प्रकार के नशे जैसे चरस, गांजा, सिगरेट, गुटखा का सेवन पूरी तरह वर्जित होता है। कावड़ियों को केवल सात्विक भोजन जैसे दाल, रोटी, सब्जी, फल आदि ही ग्रहण करना चाहिए।
सोने के नियम:
कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को जमीन पर सोना और ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। साथ ही इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को स्वच्छता और पवित्रता का खास ध्यान रखना होता है नहीं तो आपकी यात्रा फलित नहीं होती है। मान्यता ये है कि इससे शिव जी रूष्ट होते हैं।
कावड़ यात्रा पूरी तरह से पैदल ही की जाती है। भक्त सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल चलकर पूरा करते हैं। इस यात्रा में किसी भी प्रकार के वाहन का प्रयोग वर्जित होता है। इस शुभ यात्रा के दौरान चमड़े से बनी किसी भी वस्तु का स्पर्श भी वर्जित होता है चाहे वह जूते हों, बेल्ट हो या कोई अन्य चमड़े का सामान। चमड़े को अपवित्र माना जाता है और इसे यात्रा की पवित्रता के खिलाफ समझा जाता है।