किताब पढ़कर बनाने वाले थे 100 करोड़ की ड्रग:10 लाख में खेत का सौदा किया था; 3 और इलाकों में MD फैक्ट्रियों का इनपुट


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बाड़मेर में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के पास से पकड़ी गई फैक्ट्री में तस्करों ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। ये लोग किताब पढ़कर MD ड्रग बनाते थे। पहले इन लोगों ने सोशल मीडिया से MD बनाने का तरीका सीखा। जब सीख गए तो बनाने के तरीके को टाइप कर किताब का रूप दे दिया। इन्हीं किताबों को तस्करों और सप्लायरों में सर्कुलेट किया जाता था।

फैक्ट्री से जब्त तरल पदार्थ से करीब 100 करोड़ रुपए की एमडी ड्रग्स तैयार होनी थी। इसको देशभर में सप्लाई करने की प्लानिंग थी। उससे पहले बाड़मेर पुलिस ने मामला पकड़ लिया। आरोपियों से पूछताछ में जैसलमेर, जालोर-सांचौर के नाम सामने आए हैं। पुलिस को आशंका है कि यहां भी ऐसी और फैक्ट्रियां संचालित हो रही हैं।

22 जुलाई को पकड़ा गया था रैकेट सेड़वा के बीट कॉन्स्टेबल मनोहर सिंह को सूचना मिली थी कि एरिया में एसी कोई फैक्ट्री लग रही है। 22 जुलाई को बाड़मेर के सेड़वा थाना इलाके में धोलकिया के करटिया गांव के बाड़े में MD ड्रग बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई थी। 40 लाख की लागत से बनी इस ड्रग फैक्ट्री से 2 आरोपी गिरफ्तार किए गए थे। मामले में NCB ने जोधपुर से आकर जांच की थी। इसके बाद 23 जुलाई को बाड़मेर एसपी ने पूरे मामले का खुलासा किया था।

2 पकड़े, 8 नामजद एसपी नरेंद्र सिंह मीना ने बताया- खेत मालिक मांगीलाल निवासी बाड़मेर और बिरजू शुक्ला निवासी मुंबई को गिरफ्तार किया है। इसके अलावा रमेश कुमार, कमलेश, गणपतसिंह, कमलेश, शिवा भाई निवासी उड़ीसा, नर्मता निवासी ठाणे, रोहन प्रभाकर और मच्छीचंद्र तुकाराम भोसले की तलाश जारी है।

तस्वीर बिरजू (शर्ट में) और मांगीलाल (टी शर्ट में) की है।

खेत का सौदा 10 लाख में किया एसपी ने बताया- मांगीलाल और बिरजू शुक्ला से हुई पूछताछ में सामने आया है कि गैंग में रमेश, कमलेश, कमलेश, गणपत सिंह ने प्लानिंग बनाकर अपना-अपना कमीशन तय करते हुए आरोपी मांगीलाल के खेत में फैक्ट्री लगाने की प्लानिंग की। इसके बदले मांगीलाल को आरोपी रमेश ने 10 लाख रुपए देना तय किया गया। 5 लाख रुपए कैश दिए गए थे।

इसके बाद मांगीलाल और कमलेश दोनों मुंबई जाकर बिरजू से मिले। वहां से बिरजू शुक्ला और इंजीनियर शिवा को साथ लेकर फैक्ट्री लगवाने का स्थान तय किया। एमडी और अन्य मादक पदार्थ बनाने की विधि की पूरी जानकारी बिरजू को होने की बताई।

शिवा लेकर आया था MD की तकनीक पूछताछ में सामने आया कि बिरजू शुक्ला महाराष्ट्र जेल में गया था। तब उसकी जान पहचान एमडी बनाने वाले इंजीनियर से हो गई। यहीं शिवा MD बनाना सीखा। एसपी ने बताया- पूरी गैंग दूसरे जिलों में भी एक्टिव है। जब एक जगह कार्रवाई होती तो एजेंसी और पुलिस का ध्यान हट जाता है तो दूसरी जगह फैक्ट्री लगा देते हैं। एमडी का पूरा प्रोडक्शन होने में तीन-चार दिन लगते हैं। उसमें बर्फ और फ्रीज भी होना चाहिए। इसकी अलग-अलग विधि है। उसमें टाइम लगता है। एमडी पांच दिन की प्रक्रिया में तैयार होती थी।

जैसलमेर, जालोर-सांचौर में भी इनपुट एसपी ने बताया- पूछताछ में जैसलमेर का नाम आया है। इस पर हमने वहां की पुलिस को बताया है। जालोर, सांचौर पुलिस को भी इनपुट दिया गया है। गैंग का टारगेट है कि पश्चिमी राजस्थान के एरिया से एमडी बनाकर पूरे भारत में सप्लाई की जाए।

एसपी ने बताया कि महादेव इंटरप्राइजेज राजस्थान की फर्म के नाम से मशीन व सामान मंगवाया गया। आरोपी पहले बाखासर के फागलिया में फैक्ट्री लगाने की प्लानिंग कर रहे थे। यहां फैक्ट्री लगाई तो टेस्टिंग के वक्त मशीन का कांच टूट गया। ऐसे में बिरजू ने इसे अपशकुन मानकर फैक्ट्री कारटिया लेकर आए।

मुंबई से फैक्ट्री स्थापित करने की सामग्री और केमिकल बिरजू ने नम्रता ग्लास कंपनी ठाणे से नम्रता नाम की महिला से ली थी। कांच की सामग्री रोहन कंपनी मुंबई के मच्छिंद्र तुकाराम भोसले से ली थी। सामग्री महादेव एंटरप्राइजेज राजस्थान जैसलमेर के नाम से बिल और जीएसटी नंबर देकर खरीदी गई।

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