सऊदी अरब, क़तर, ओमान… ईरान पर अमेरिका के हमले के बाद इस्लामिक देश क्या कह रहे हैं


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ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के हमले के बाद मध्य पूर्व में तनाव गहरा गया है. अमेरिका की इस सैन्य कार्रवाई ने न सिर्फ इसराइल-ईरान टकराव के और बढ़ने का ख़तरा पैदा कर दिया है, बल्कि इस पर मुस्लिम और अरब देशों की तीखी प्रतिक्रिया भी सामने आई है.

सऊदी अरब से लेकर पाकिस्तान तक, कई देशों ने इसे अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन बताया और क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर गंभीर ख़तरे की बात कही. इनमें से ज़्यादातर सरकारों ने अमेरिका के हमले की आलोचना करते हुए तुरंत तनाव कम करने और कूटनीतिक संवाद बहाल करने की अपील की है.

इन बयानों में अंतरराष्ट्रीय नियमों के पालन की मांग की गई है.

बता दें कि रविवार सुबह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों फ़ोर्दो, नतांज़ और इस्फ़हान पर हमले किए हैं. ट्रंप ने लिखा कि फ़ोर्दो पर ‘बमों की एक पूरी खेप’ गिराई गई है और सभी विमान सुरक्षित अमेरिका वापस लौट रहे हैं.

क़तर के अमीर शेख़ तमीम बिन हमद अल थानी, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तान के राष्ट्रपति शहबाज़ शरीफ़
क़तर के अमीर शेख़ तमीम बिन हमद अल थानी, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तान के राष्ट्रपति शहबाज़ शरीफ़

न हमलों के बाद ईरान ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन बताया है.

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराग़ची ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य अमेरिका ने ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला करके संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय क़ानून और एनपीटी का गंभीर उल्लंघन किया है.”

उन्होंने एक और सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि कूटनीति का रास्ता पहले इसराइल ने बंद किया और फिर अमेरिका ने उसे ख़त्म कर दिया.

अमेरिका के इन हमलों के बाद दुनिया के अलग-अलग देशों की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं:

सऊदी अरब

सऊदी अरब ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के हमले को लेकर गहरी चिंता जताई है और इसे ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन बताया है.

उसने तनाव को रोकने और राजनीतिक समाधान की दिशा में वैश्विक कोशिशों की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है.

सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने एक एक्स पोस्ट में लिखा है, “सऊदी अरब इस्लामी गणराज्य ईरान में हो रहे घटनाक्रम को लेकर गहरी चिंता के साथ स्थिति पर नज़र बनाए हुए है, विशेषकर अमेरिका की तरफ़ से ईरानी परमाणु ठिकानों को निशाना बनाए जाने को लेकर.”

बयान में आगे कहा गया है, “सऊदी अरब 13 जून 2025 को जारी अपने बयान की बात दोहराता है, जिसमें इस्लामी गणराज्य ईरान की संप्रभुता के उल्लंघन की आलोचना की गई थी.”

“सऊदी अरब अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी अपील करता है कि इस बेहद संवेदनशील समय में अपनी कोशिशों को तेज़ करें, ताकि संकट का राजनीतिक समाधान निकल सके और क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता हासिल करने के लिए एक नया अध्याय शुरू किया जा सके.

क़तर

क़तर ने ईरानी परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों की वजह से स्थिति के बिगड़ने पर जोखिम जताते हुए क्षेत्रीय तनाव को लेकर गहरी चिंता ज़ाहिर की है. उसने सभी सैन्य अभियानों को तुरंत रोकने की अपील की है.

क़तर के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है “क़तर हाल ही में हुए हमलों के बाद की स्थिति पर गहरी चिंता के साथ नज़र बनाए हुए है, जिनमें इस्लामी गणराज्य ईरान के परमाणु ढांचे को निशाना बनाया गया.”

विदेश मंत्रालय ने ये भी कहा है, “क्षेत्र में मौजूदा ख़तरनाक तनाव, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विनाशकारी परिणामों की ओर ले जा सकता है.”

बयान में आगे कहा गया है, “क़तर को उम्मीद है कि सभी पक्ष विवेक, संयम और आगे किसी भी तरह से मामले को बढ़ने से रोकने का रास्ता अपनाएंगे, क्योंकि इस क्षेत्र के लोग पहले ही संघर्ष और उसके दुखद मानवीय प्रभावों से पीड़ित हैं.”

ओमान

ओमान ने ईरान के भीतर अमेरिकी हवाई हमलों पर गहरी चिंता जताई है और इसकी कड़ी निंदा की है.

ओमान ने इसे ग़ैर-क़ानूनी हमला बताया है और कहा है कि यह अंतरराष्ट्रीय क़ानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सीधा उल्लंघन है. उसने सभी पक्षों से हालात को शांत करने की अपील की है.

ओमान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “अमेरिका की ये कार्रवाई संघर्ष के दायरे को और बढ़ा सकती है और ये अंतरराष्ट्रीय क़ानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का गंभीर उल्लंघन है.”

ओमान की तरफ़ से आगे कहा गया है, “संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के तहत हर देश को शांतिपूर्ण उद्देश्यों से परमाणु कार्यक्रम विकसित करने का अधिकार है, बशर्ते ये काम अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की निगरानी में हो.”

“जिनेवा समझौते समेत कई अंतरराष्ट्रीय नियम परमाणु ठिकानों को निशाना बनाने पर रोक लगाते हैं, क्योंकि इससे विकिरण और प्रदूषण फैलने का ख़तरा होता है.”

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